2 कुरिन्थी 12:20 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान20 किल्हैकि मुंह आसा एही डौर कि किधी इहअ निं हआ कि ज़ेभै मुंह एछणअ, और ज़िहै मुंह तम्हैं हुऐ लोल़ी और तम्हैं निं तिहै हआ और हुंबी ज़ेभै तम्हां नांईं लोल़ी त आअ और हुंह एछे तेभै, और तम्हां दी होए झ़गल़ै, आल-मस्ती, रोश, बरोध, ज़ल़ण, निंदा-च़ुगली, घमंड और झ़गल़ै। Faic an caibideilकुल्वी20 किबैकि हांऊँ डौरा सा, कि कोइँछ़ै ऐण्ढा नी लोड़ी हुआ, कि हांऊँ एज़िया ज़ैण्ढा चाहा सा, तैण्ढाऐ तुसाबै नी पानु; होर मुँभै भी ज़ैण्ढा तुसै नी च़ाँहदै तैण्ढाऐ ही पानु, कि तुसा न झ़गड़ा, निंदा, झ़िक, बरोध, ईर्ष्या, चुगली, घमण्ड होर बखेड़ा होली। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम20 किबेकि महा डर साहा, कई एडा नांई होए कि हाऊं इच्छी करे जेड़ा हाऊं चाहंदा, तेहडा तमा नांई हेरे; होर महा भी जेड़ा तमे नांई चाहंदे तेहडा ही हेरे; होर तमामें झगड़ा, जलन, रोष, बिरोध, लालच, चुगली, घमण्ड होर उपद्रब हेरु; Faic an caibideil |