2 कुरिन्थी 11:26 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान26 हुंह रहअ कई बारी सफरा दी, गाडा नाल़ीए खातरै दी, और डाकुए खातरै मांझ़ै, और आपणीं ज़ातीए लोगे खातरै दी, और होरी ज़ातीए लोगे खातरै दी, और नगर गराऊंए लोगा मांझ़ै खातरै दी और बणैं रहअ खातरै दी, और समुंदरे खातरै दी और झ़ुठै विश्वासी मांझ़ै रहअ खातरै दी। Faic an caibideilकुल्वी26 हांऊँ आपणी घड़ी-घड़ी री सफरा न; नौई रै खतरै न; डाकुऐ रै खतरै न; आपणी ज़ाति आल़ै रै खतरै न; होरी ज़ाति रै खतरै न; नगरा रै खतरै न; जंगला रै खतरै न; समुन्द्रा रै खतरै न; होर झूठ बोलणु आल़ै विश्वासी भाई रै बीचा न खतरै न रौहु; Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम26 हाऊं भी-भी यात्रा में; नांई रे जोखिमा में; चोरा रे जोखिमा में; आपणे जाति आले रे जोखिमा में; अन्यजाति रे जोखिमा में, नगरा रे जोखिमा में; बूणा रे जोखिमा में; समुद्रा रे जोखिमा में; झूठ भाई रे जोखिमा में रहू। Faic an caibideil |
इधी इफिसुस नगरी आसा मेरै दुशमण बणें ज़ीबा ज़िहै ज़ुंण मुंह बरैबाद च़ाहा करनअ। ज़ै मुंह एऊ संसारै ई भेटणअ फल ता; तै कै ज़रुरत पल़ी मुंह एतरै दुख ज़िरने! ज़ै अह ई गल्ल आसा शुची कि खिरी निं हुंह मरी करै भी ज़िऊंदअ हणअ ता; तै आसा अह गल्ल ई ठीक ज़िहअ बोला, (याशायाह 22:13) “एछा खाआ-पिआ मौज़ करा, किल्हैकि काल्ला ता हाम्हां मरनअ लागणअ।”