2 कुरिन्थी 1:17 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान17 मुखा त थोघ कि किज़ै करनअ। मंऐं निं तम्हां लै “हाँ” करी करै “नांईं” की और ज़ुंण हुंह करनअ च़ाहा, कै हुंह संसारे होरी लोगा ज़िहअ च़ाहा त करनअ ज़ुंण “हाँ” बोला पर असली दी हआ तिन्नों मतलब “नांईं”? Faic an caibideilकुल्वी17 तैबै मैं ज़ो ऐ मर्जी केरी ती ता मैं कि चंचलता रिहाई? कि ज़ो हांऊँ केरना चाहा सा कि सौ दुनिया रै लोका रै मुताबक केरना चाहा सा, कि हांऊँ दुनिया रै लोका सांही नैंई ऑथि ज़ो “हाँ” बोला सी ज़ैबैकि असली न तिन्हरा “नाँह” होआ सा? Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम17 एतकि तणी मांई यह जोह ईच्छा करी थी तेबा मांई कैह चंचलता रिहाई? या जोह करणा चाहंदा कैह शरीरा रे साबे करणा चाहंदा कि हाऊं गला में हा, हा भी करू; होर नांई, नांई भी करू? Faic an caibideil |
परमेशरै रहैऊई मुखा अह गल्ल कि मुंह लागणअ येरुशलेम नगरी डेऊणअ और तैही नाठअ हुंह, ज़ुंण खुशीओ समाद हुंह होरी ज़ाती लै प्रच़ार करा, तिंयां सोभै गल्ला खोज़ी मंऐं बाढै तिन्नां का, पर खोज़अ मंऐं ज़ुदअ ज़िहअ हई करै तिन्नां ई का ज़ुंण तिन्नां मांझ़ै बडै सैणैं तै, ताकि इहअ निं होए कि ज़ुंण मंऐं आझ़ तैणीं मैन्थ की या ज़ुंण मुंह आजू करनअ सह बरैबाद नां डेओए।