1 कुरिन्थी 8:10 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान10 किल्हैकि, ताखा ता आसा थोघ कि ईंयां मुर्ति निं असली परमेशर आथी और तूह खाआ मुर्तिए देहुरै। पर ज़ुंण विश्वासा दी दुबल़अ आसा सह सोठा इहअ कि, ज़ै सह इहअ करे ता अह आसा पाप। तिधी ताह खांदै भाल़ी करै सका तेऊ बी मुर्ति दी बल़ीदान की दी च़िज़ा खाणें हिम्मत पल़ी। Faic an caibideilकुल्वी10 मना कोई मांहणु रा मन कमज़ोर सा होर सौ तुसाबै ज़ुणी हागै ऐ ज्ञान सा कि कोई भी मूर्ति रै मन्दिरा न रोटी खाँदै हेरला, कि तेइबै मूर्ति रै सामनै बलि केरूईदी च़ीजा बै खाँणै री हिम्मत नी होंणी? Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम10 किबेकि अगर कुण ज्ञानी ताह मूर्ति रे मन्दिरा में धाम ना करदे हेरे होर सह कमज़ोर मणश होए, तेबा कैह तेऊरे मने मूर्ति जेह बलि चढाई दी चीजा खाणे री हिम्मत नांई पडणी। Faic an caibideil |
पर सोभी विश्वासी का निं अज़ी बी थोघ आथी कि मुर्ति दी निं किछ़ै शगती आथी। किल्हैकि तिंयां करा तै पैहलै तिन्नां मुर्तिए पूज़ा। ज़ांऊं ऐबै तिंयां मुर्ति दी बल़ीदान की दी च़िज़ा खाआ ता तिंयां सोठा गलती दी इहअ कि तिंयां आसा अज़ी बी तिन्नां मुर्तिए पूज़ा दी साझ़ू। तेखअ हआ तिंयां परशैन, तिंयां सोठा गलती दी इहअ कि मुर्ति दी च़ढाऊई दी च़िज़ा खाई करै हेरअ तिन्नैं पैहलै ई पाप करी।