1 कुरिन्थी 7:5 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान5 तम्हैं निं एकी दुजै का ज़ुदै रही; पर सिधअ थोल़ी घल़ी सका आप्पू मांझ़ै सैहमती दी सका ज़ुदै हई, ताकि प्राथणां करना लै किछ़ बगत भेटी सके, और तेखअ रहै भी संघा, राख्सा निं आप्पू परखणैं दैई नांईं ता तम्हां हणीं आपणीं देहीए भुख आपणैं बशै करनी कठण। Faic an caibideilकुल्वी5 तुसै एकी होरी न आँगी मता रौहै, पर किछ़ बौगता री तैंईंयैं आपु न सलाह केरिया प्रार्थना री तैंईंयैं बौगत खोला, होर फिरी कठै रौहित्, ऐण्ढा नी लोड़ी हुआ कि तुसै आपणी इच्छा बै काबू नैंई केरी सकलै होर शैतान तुसाबै परखला कि तुसै व्यभिचार केरलै। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम5 तमे एकी दूजे का अलग नांई होए, की थोडे वक्ता तणी आपु में सहमत्ती करी करे थोडे वक्ता प्रार्थना करी करे आपु में मिली करे अधिकारा री एडा ना होए की शैतान तमा परीक्षा में पाए। Faic an caibideil |