1 कुरिन्थी 6:9 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान9 तम्हां का आसा थोघ कि बूरै करनै आल़ै लोग निं परमेशरे राज़े बरासते हकदार बी हणैं आथी। तम्हैं निं इहै धोखै दी रही कि तम्हैं करा बूरअ काम और तज़ी बी हणैं तम्हैं परमेशरे लोग! ज़ुंण ईंयां इहै लोग हणैं, ज़िहै कंज़री सेटा डेऊणैं आल़ै, मुर्ति पूज़ा करनै आल़ै, कंज़रै, धोखै दैणैं आल़ै, मर्धे देही झ़ूरनै आल़ै, Faic an caibideilकुल्वी9 कि तुसै नी जाणदै कि अन्यायी लोका परमेश्वरा रै राज्या रै हकदार नैंई होंणा? धोखा मता खाऐ; न वेश्या, न मूर्तिपूजा केरनु आल़ै, न व्यभिचारी, न लुचै, पुरुषगामी, Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम9 कैह तमे नांई जाणदे कि अन्यायी परमेश्वरा रे राज्य रे वारिस नांई हूणा, धोखा ना खाऐ, नाह व्यभिचार, होर नाह मूर्ति पूजा करणी होर नाह होरी री बेटड़ी भी नांई हेरनी, होर नाह लूचपन, होर नाह पुरुशार्थ या सभी अधर्मी कामा ना करे। Faic an caibideil |
“पर ज़ुंण मुंह दी भरोस्सअ नांईं डाहे, तिंयां पाणै ज़ोरा-ज़ोरी तेऊ समुंदरा दी ज़ुंण गंधका करै ज़ल़ा, सह आसा दुजी मौत। अह इहअ नतिज़अ हणअ तिन्नां लोगो बी ज़ुंण होरी लोगा सम्हनै मेरअ नांअ लणै का डरा, ज़ुंण बूरै काम करा, ज़ुंण होरी मारी पाआ, ज़ुंण कंज़रैई करा, ज़ुंण ज़ादू करा, मुर्तिए पूज़ा करा और झ़ुठअ बोला।” (1 कुरिन्थी 6:9-10; इफिसी 5:5)