1 कुरिन्थी 6:7 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान7 ज़ेभै तम्हां मांझ़ै कुंण दुजै विश्वासीओ मकदमअ करा, तम्हैं निं एकी दुजै संघै तेही ज़िन्दगी ज़िऊंणां लै सफल हुऐ ज़िहअ मसीहा च़ाहा कि थारी ज़िन्दगी होए। ज़ै कुंण विश्वासी तम्हां लै ज़ुल्म करा तेऊ दैणअ करनै, ज़ै कुंणी धोखअ दैई करै तम्हां का किज़ै निंयं बी ता तेऊ लै निं तम्हैं किछ़ै करनअ। Faic an caibideilकुल्वी7 औखै तक कि एकी दुज़ै सैंघै ऐण्ढा मुकदमा भी तुसरी तैंईंयैं एक हार सा। अन्याय बै स्वीकार किबै नैंई केरै होर ऐ तौखै छ़ौड़ै? आपु बै धोखा किबै नी दै? Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम7 सची तमामें सभी का बड़ा दोष यह साहा की तमे आपु में मुकदमा करा पर जोह हानि हुंदा तेऊ किवै नांई सहन नांई करदे। Faic an caibideil |