1 कुरिन्थी 5:1 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान1 मुखा खोज़अ कई लोगै थारै बारै इहअ कि तम्हां मांझ़ै आसा मंडल़ी दी कई लोग एही कंज़रैई दी पल़ै दै, कि इहअ निं तिंयां लोग बी करदै ज़हा का परमेशरो थोघ निं आथी कि शोहरू डाही आपणीं सौतेली आम्मां। (लेबी बधान 18:8; बधान 22:30) Faic an caibideilकुल्वी1 किछ़ लोकै मुँभै दसू सा कि तुसा मौंझ़ै न किछ़ लोका तुसरी मण्डली न व्यभिचारा न सी, मगर ऐण्ढा व्यभिचार ज़ो अविश्वासी मौंझ़ै भी नी होन्दा, कि एक मांहणु आपणै सौतेली आमा बै डाह सा। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम1 अखे तणी शुडने में आउआ कि तमामें ब्यभिचार हुंदा, पर एडा व्यभिचार जोह अन्यजाति में भी नांई हुंदा कि एक मणश आपणे बापू री बेटड़ी डाहदा। Faic an caibideil |
“पर ज़ुंण मुंह दी भरोस्सअ नांईं डाहे, तिंयां पाणै ज़ोरा-ज़ोरी तेऊ समुंदरा दी ज़ुंण गंधका करै ज़ल़ा, सह आसा दुजी मौत। अह इहअ नतिज़अ हणअ तिन्नां लोगो बी ज़ुंण होरी लोगा सम्हनै मेरअ नांअ लणै का डरा, ज़ुंण बूरै काम करा, ज़ुंण होरी मारी पाआ, ज़ुंण कंज़रैई करा, ज़ुंण ज़ादू करा, मुर्तिए पूज़ा करा और झ़ुठअ बोला।” (1 कुरिन्थी 6:9-10; इफिसी 5:5)