1 कुरिन्थी 15:54 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान54 ज़ेभै एसा मरनै आल़ी देही अमर हणैंओ च़ोल़अ बान्हणअ, तेभै हणअ सह बैण पूरअ, ज़ुंण पबित्र शास्त्रा दी आसा लिखअ द, (याशायाह 25:8; होशा 13:14) “ज़िन्दगी हारी मौत और आजू निं मौत हणीं। Faic an caibideilकुल्वी54 फिरी ज़ैबै आसरा ऐ नाशमान शरीर न मौरनु आल़ै शरीरा न बदलिणा ता पवित्र शास्त्रा न ज़ो लिखु सा पूरा होंणा जय मौऊत निगली सा। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम54 होर जेबरे एउ नशवान अविनाशी बनण होर मरण रअ मूर्त बनणी, तेबा जोह वचन लिखुद साहा पुरअ हुणअ जय मृत्यु निगली। Faic an caibideil |
अह हणअ तेभै ज़ुंण घल़ी परमेशरै प्रभू ईशू लै स्वर्गा का फिरी एछणा लै आसा डाही दी। एतो नतिज़अ हणअ इहअ कि तेभै रहैऊंणअ हाम्हां पबित्र मणछा तेऊओ प्रतप और तेभै हणीं हाम्हां तेऊ दी रहैनी ज़ुंण हाम्हैं तेऊ दी विश्वास करा। तूह बी हणअ तेभै तिधी किल्हैकि तंऐं बी किअ तेता दी विश्वास ज़ुंण हाम्हैं तेऊए बारै खोज़अ। (1 थिस्सलुनी 2:13; 1 कुरिन्थी 1:5; भज़न; 89:7; याशायाह 49:3)