1 कुरिन्थी 14:15 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान15 एता लै च़ाहा हुंह पबित्र आत्में साबै प्राथणां करनी, पर हुंह च़ाहा इहअ कि ज़ुंण हुंह बोला सह लोल़ी होरी बी समझ़ आअ। ज़ेभै हुंह गिह बोला सह लोल़ी पबित्र आत्में साबै मंऐं बोली पर अह बी आसा ज़रूरी कि ज़ुंण हुंह गिह बोला सह लोल़ी होरी बी समझ़ आई। Faic an caibideilकुल्वी15 ता मुँभै कि केरना चेहिऐ? ऐण्ढा एक बौगत होआ सा ज़ैबै मुँभै आत्मा रै ज़रियै प्रार्थना केरनी चेहिऐ होर ऐण्ढा भी एक बौगत होआ सा ज़ैबै मुँभै अक्ला सैंघै प्रार्थना केरनी चेहिऐ। कैधी-कैधी मुँभै आत्मा रै ज़रियै गाणा चेहिऐ होर कैधी अक्ला सैंघै भी गाणा चेहिऐ। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम15 तेबा कैह करना लोडी? माँह आत्मा का भी प्रार्थना करणी, होर बुद्धी का भी प्रार्थना करणी, माँह आत्मा होर बुद्धी का गाऊंणा। Faic an caibideil |
पर तज़ी बी, ज़ै हुंह मंडल़ी दी खास्सै विश्वासी मांझ़ै होए ता हुंह निं होरी रंगे भाषा बोलदअ किल्हैकि पाखली बोली ज़ुंण कोहै निं समझ़ी सकदअ तेथ बोलै होए मंऐं दस हज़ारा बैण पर तिंयां निं कोही समझ़ आऐ कि मंऐं कै बोलअ! तेता का आसा मेरै बोलै दै तिंयां पांज़ बोल ई भलै ज़ुंण लोगा समझ़ एछे और ज़ेता करै तिन्नां शिक्षा भेटे।