1 कुरिन्थी 13:3 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान3 ज़ै हुंह आपणीं ज़ैदात बी गरीबा और दुखी दल़िदरा लै दैंऊं, और आपणीं देही बी दुजै बच़ाऊंणा लै आगी जैंदरी पाऊं, पर झ़ूरी निं मेरै दिला दी कोही लै होए, ता तेतो बी निं मेरअ किछ़ फाईदअ आथी। Faic an caibideilकुल्वी3 अगर हांऊँ आपणी पूरी ज़ायदात (दौलत) गरीबा बै खियानु, या आपणा शरीर फुकिणै री तैंईंयैं देंनु, होर झ़ुरी नी केरनु, ता मुँभै किछ़ भी फाईदा नी ऑथि। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम3 अगर हाऊं आपणी सारी सम्पति कंगला वै देलअ या आपणे शरीरा जालने वै होर प्रेम नांई डाहे, तेबा महा किछे लाभ नांई। Faic an caibideil |