1 कुरिन्थी 12:1 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान1 ऐबै भाईओ, ज़ुंण तम्हैं मुखा आत्मिक बरदाने बारै सुआल पुछ़अ त, हुंह च़ाहा इहअ कि तम्हां लोल़ी तेते बारै राम्बल़ै करै थोघ लागअ। Faic an caibideilकुल्वी1 हे सैभ भाइयो, बैहणियो हांऊँ च़ाहा सा कि तुसै आत्मिक वरदाना रै बारै न ज़ाणा कि कैण्ढै तेइरा इस्तेमाल केरना। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम1 हे भाईयो हाऊं नांई चाहन्दा की तमे आत्मिक ज्ञाना रे बारे में अनजान रहा। Faic an caibideil |