प्रकाशितवाक्य 14:4 - ओङ राजपूत4 ये वे बन्दी छी यांणे कुई असतरी लारे आपणे आप नु गन्दे कोनी करले। कांकि वे कुंवारे हुते, ते जिठे-किठे मैमणे जते, वे बन्दी ओचे भांसु टुरती पड़ती। सारी इन्सानी जाति कनु मोल गेहती कर छुड़ाती गेले ते। वे नरीकारा चे ते मैमणे चे वास्ते रहड़ी चे पेहले फल हुते। Faic an caibideil |