14 वांचीया आंखीया मां व्यभिचार बसला आला छै ते पाप करले बगैर आलीकर ना सग़ी वे चंचल मना आला नु बकाती गिही वांचे मना नु लोभ करने ची आदत हुली भिली वे श्राप ची ऊलाद्ध छी।
हे कप्पटी शास्त्री ते फरीसी, तम्चे उपर हाय! तम्ही बांढीया चे घर खाती जावा,ते ङिखाणने वास्ते बङी देर तक प्राथना करते रिहा, ऐवास्ते तम्हानु ज्यादा ङण्ड मिली।
यांचे मां अम्ही वी सब चे सब पेहले आपणे शरीरा ची लालसा मां ङिहें गुजारते, ते शरीर ते मना ची इच्छा पुरी करते, ते नेरे लौका आलीकर सुभाव ही कनु क्रोध ची ऊलाद्ध हुते।
अम्ही इसड़ी ब़ाले बणली ना रिहुं कि हवाई लारे उछलती ना जऊं बन्दी जको ठग़्ग़ विधिया नु बधावी, भ्रम चे लारे भरले आले व्यवहार कनु, ते इसड़े ढोंगीपणे कनु इंगे-ऊंगे भटकाती ङी
कुई बन्दे दीनता चा ङिखावा करती स्वर्ग़दूता ची पुज़ा करती तम्हानु बेवकूफ ना बणाओ, तम्ची द्रोड़ने चे प्रतिफल कनु दूर ना करो। इसड़े बन्दे ङेखली आलीया बाता मां लाग़ले रिहे ते आपणे शरीरिक समझ उपर बेकार मां फुंडे।
कांकि जको कुई संसारा मां छै, यानिकि शरीरा ची इच्छा ते आंखीया लारे ङेखती कर ओनु पाणे ची मना मां इच्छा ते जीविका चे घमण्ड, ओ ब़ा नरीकारा ची ओर कनु कोनी पर संसार ची ओर कनु छै।
वांचे उपर हाय! कांकि जेह्णे कैन चे मार्ग़ नु चुणती गेले, ते धन-दौलत ची लालच ची वजह वाणे वाहो गलती करली, जको बिलाम ने करली हुती। ते कोरह आलीकर विरोध करती कर नाश हुले।