कि अगर माये आणे मां देर हुवे तां तु जाणती गिहो, कि नरीकारा चा कुणम्बा, जको जीते नरीकारा ची कलीसिया छै, ते जको सच्चाई चा खम्बा, ते नीम छै, ओचे मां किसड़ा बर्ताव करना चाही छै।
मनु ब़ोहत सारीया बाता तम्हानु लिखणीया छी, पर काग़स ते स्याही लारे लिखणे ना चाहवी, पर आस छै कि मैं तम्चे गोढु आवी ते आमणे-सामणे बातचीत करी, जाये कनु तम्ची खुशी पुरी हो।