काहैकि मैं बहे अनुग्रह के बजह से जो मोकै मिलो है, तुम जितने हौ सबन से कहथौं, कि जैसो समझनो चाहिए, बासे जाधे कोई अपने आपकै नाय समझै; जाके अलावा अपनी सोच मैं विनम्र बनौ, लेकिन जैसे परमेस्वर सबन कै बिस्वास से नाप तौल से बाँट दई है, बैसिये सई बुद्धि के संग अपने आपकै आकैं।