“अच्छो फल पान के ताहीं तुमरे झोने एक अच्छो पेंड़ होनो चाहिए; अगर तुमरे झोने खराब पेंड़ है, तौ तुमरे झोने खराब फल होंगे। काहैकि पेंड़ अपने फल से पहचानो जाथै।
और जब तैं अपनिए आँखी को लट्ठा नाय देखथै, तौ अपने भईय्या से कैसे कह सकथै, ‘कि भईय्या, रुक जा ला तेरी आँखी से धब्बा, कूरा साफ कर देमौं?’ तुम ढोंगी, पहले अपनी आँखी से लट्ठा निकारौ, तौ जो कूरा तेरे भईय्या की आँखी मैं है, खूब अच्छे से देखकै निकार सकथै।”