जब सबसे बाद की तुरहई बजैगी तौ पलक झपकतै खिना एक घड़ी मैं ऐसो हुई जागो, काहैकि तुरहई बजैगी और मरे भै अमर हुईकै जी उठंगे और हम जो हबै जिंदे हैं, बदल जांगे।
बौ समय तू दुनिया की बुरी चाल पर चलो; तैं आकास मैं आध्यात्मिक सक्तियन की आग्या मानो, बौ आत्मा जो अब बे लोगन कै वस मैं करथै जो परमेस्वर के बिरोधिन मैं चलथैं।
काहैकि हमारी हर लड़ाई इंसानन से ना है, बल्किन प्रधानन से अधिकारियन से और जौ अंधकारमै दुनिया की ताकतन से, और स्वर्गिय जघा के बे दुस्ट आत्मिक फौज के खिलाप हैं जो अंतरिक्छ मैं हैं।