1 हे सेठौ सुन तौ लेबौ; तुम अपने आनबारे कलेसन के बजह से चिल्लाए-चिल्लाए कै रोबौ।
1 हे धनी आदमी! सुनलेओ, तुम अपने आन बारे दुख समझके चिल्लाए-चिल्लाएके रोबओ।
सूरज अपने धधकत भौ घामो के संग निकरथै और घाँस कै जलाए देथै; बाको फूला गिर जाथै, और बाको सुगड़पन खतम हुई जाथै। बैसिये सेठ तभा ही जांगे जबकी बे अपने काम के बारे मैं जानंगे।
पर तुम बौ कंगाल को अपमान करे! का सेठ आदमी तुम्मैं अत्याचार नाय करथैं! और का बे तुमकै पंचायतन मैं घसीट-घसीट कै नाय लै जाथैं?
तुम जो जौ कहथौ, “आज या कल हम कोई और नगर मैं जाएकै हुँआँ एक साल बितामंगे, और ब्यापार करकै पैसा कमांगे।”
दुखी होबौ, और सोक करौ, और रोबौ, तुमरी हँसी सोक मैं और तुमरी खुसी उदासी मैं बदल जाबै।