तौ अगर लेवी पुजारी पद के जरिया सिद्ध हुई सकथै (जोके सहारे से लोगन कै नियम मिली रहै) तौ फिर का जरूरत रहै, कि दुसरो पुजारी मेलिकिसिदक की रीति मैं ठाड़ै, और हारून की रीति को न कहलाबै?
लेवी के बालकन मैं से जो पुजारी को पद पाथैं, उनकै आग्या मिली है, कि लोगन, मतलब अपने भईय्यौ से चाहे, बे अब्राहम के ही सरीर से काहे न जनमें होमैं, नियम के अनुसार दसमों भाग लियैं।