तुमरो गरब करनो साजरा नाहती। का तुमीला मालुम नहती? जरा सो खमिर सब मलो कनिक ला खमीर बना डाका सेत, अना जसो हाना सेत का “एक मरो मसरी, सप्पा बोडी को पानी ला, खराब कर देवसेस।”
यो जानके की मोसे को नियम न्यायी जन को साठी नाहती पर अधरमी गीन, बेलगाम महुन, बिन भक्तिवारा, पापी गीन, अपवितर गिन अना असूध्द मानूसगिन, माय बाबुजीगीन ला मारन वालो, जान लक मारनवालो,
एना गोस्टी को ध्यान राखो का कोनी मानूस परमेस्वर को किरपा लक मुरक ना जाय, अना तुम्हीला दुख देवन काजी अखिन लगत लोक गिनला खराब करन काजी कोनी झंझट को जड़ नोको फूटेत।
येना अदभूत काम दिसावन को ताकत ओनो जनावर पुढ़ा भेटयो होतो। अना धरती को रव्हन वालो गिनलक दगाबाजी करत होतो। अना उनला कव्हत होतो। की ओनो जनावर को मुरत बनाव, जेनको पर तलवार को निसान सेत अना वा दुबारा जित्तो होय गयो से।
मिना चोवयो ओको डोस्की मा एक भारी घाव से। जोनलक वा मर जाहेत। पर चोवत। चोवत उ घाव साजरा भयी गयो। ऐतरो पर सप्पा धरती को रव्हनवारा लोक अकचकाके ओनो जनावर मंघा चल लगीन।