1 अगो चहेतो भाऊहुन! मी तुम्हाला दुसरो बार चिठ्ठी लिखासू। यो चिठ्ठी मध्ये तुमी लोकहुनला काही गोस्टी को हेत दिलाय के तुमरो साजरो अक्कल ला सतरक करनो चाव्हासेऊ।
अबा चोवो जबा तुमी ना सच्चाई ला मानत-मानत, सच्चौ भाऊचारा लक निस्कपट माया ला चोवान काजी आपरो आतमा ला पवितर कर लियो सेत। ता पवितर मन लक तेजी लक एक दुजो लक माया करन को आपरो निसान बनालेव।
मि तुमला हेत करावनो चाव्हसेउ अना तुमी ता ऐना सबच गोस्टी ला जानासो का जोन पिरभु ना पयले आपरो लोकहुन ला मिसर की धरती लक हेड़ के आनिस, मंग मा जिनना बिस्वास ला नकार देईन उनला कसो लक नास कर देयो गयो।