4 ताकि वी जवान बाई हुन ख जताती रैय कि अपना अदमी हुन अर पोरिया-पारी से प्रेम रखे;
4 कि हुनमन जुआन बायले लेकीमन के जनाते रओत कि आपलो मुनुकमन आउर पिलामन ले मया करा;
पर जुवान विधवा हुन को नाम मत लिखजे काहेकि जब वी मसी की बुराई कर ख सुख विलास म पड़ जावा हैं। ते बिहाव करना चाहव हैं।
एकोलाने भी असो चाहूँ हैं कि जुवान विधवा बाई हुन बिहाव कर ले, अर पोरिया पारी पैदा करे अर घर दुवार समाले, अर कोई विरोधी ख बदनाम करन वालो ख मऊका नी दे।
सियाना हुन माय हुन ख माय समझ ख; अर जुवान बाई हुन ख पुरी सुध्द रीति से बहिन समझ ख समझा दा।
असोच ही सियानी माय हुन को चाल चलन सुध्द अदमी हुन जसो होय वी आरोप लगान वाली अर दारू पिन वाली नी, पर अच्छी बात सिखान वाली होय
अर धीरज रखन वाली, अदमी को धरम पुरो करन वाली, घर को कारोबार पुरो करन वाली, भली, अर अपनो-अपनो अदमी को बस म रहन वाली होय ताकि परमेस्वर को वचन की बुराई नी होनो चहिए।