उ अपना तुम ख ही हमारा पाप हुन ख अपनी सरीर पर लाने हुए सूली पर चढ़ गयो, जेना हम ख पाप हुन का लाने मर ख धार्मिकता को लाने जिन्दगी बताए: ओखा ही मार खाना से तुम चोक्खो भयो।
एकोलाने कि मसी न भी, याने अधर्मी हुन को लाने धरमी न, पाप हुन का लाने एक बार दुख उठायो, काहेकि हम ख परमेस्वर को नजदीक पहुँचाए; उ सरीर का भाव से ते जख्म कियो गयो, पर आत्मा ख भाव से जिलायो गयो।