एकोलाने जित्ता अदमी नेम को काम हुन पर भरोसा रखा हैं, वी सब सराप को बस म हैं, काहेकि लिखो हैं, “जे कोई नेम को किताब म लिखी वाली सब बात हुन को करनो म खड़ो नी रहवा, उ सरापीत हैं।”
ते फिर नेम काहे दियो गयो हैं? वा तो को कारन बाद म दी गई कि वा संतान को आन तक रहे, जे ख वादा दियो गयो रह; अर वा स्वर्ग दूत हुन को व्दारा एक बिचवई को हात ठहराई गई।
जाति जाति ख मारन को लाने ओको मुंड़ो से एक चोक्खी तलवार निकला हैं। उ लोहा को राजदण्ड लेका उन पा राज करेगों, अर सर्वसक्तिमान परमेस्वर को भयानक प्रकोप की पानी जलाहट की मदिरा को रसकुण्ड म अंगूर खोदेगो।