जसो कि सुध्द सास्र म लिखो हैं, “कि परमेस्वर न सुध्द आत्मा को दुवारा कि बुध्दि को जड़ बना दियो हैं ओ म उन ख, असी आँखी दे दी जे नी देख हैं, अर असो कान जे नी सुननो नी अर ओकी यू हाल्त आज लक बनी हैं।”
कभी नी भलो ही हर एक व्यक्ति झूठो निकल जाहे, पर परमेस्वर सच्चो लिखो होए; जसो कि सुध्द सास्र म लिखो हैं तोरो वचन तोखा धार्मिकता ठहरायो हैं; जब तोरो न्यायीपन होय हैं ते तू जीत मिले हैं।
काहेकि पहिले हम भी बेग्यानी, अर कहेना नी मानन वाला, अर गलत फैयमी म पड़िया अर कई तरीका कि मन की मरजी हुन अर सुख सान्ति की गुलामी म हता अर बैरभाव, अर गुस्सा करनो म जीवन बितात रह अर घिन्न करन वाला हता। अर एक दुसरा से बैर रखत रहा।
पर डरनवाला, अर अविस्वासी हुन अर घिनोना हुन, अर हत्यारा हुन अर व्यभिचारी हुन, अर टोना, अर मूरती पूजा करन वाला, अर सब झुटा हुन को भाग वा झील म मिलेगो जो आग अर गन्धक से जलते रहवा हैं: या दुसरी माऊत आय।