एकोलाने जब तक प्रभु नी आये हे उ बखत से पहले कुई बात हुन ख फैसला नी करे उ अन्धकार कि छुपी बात हुन ज्योति म दिखाए, अऊर मन हुन ख अभिप्राय ख देखागो करेगों, तब परमेस्वर कि तरफ से हर एक कि स्वगत होय।
काहेकि अवस्य हैं कि हम सब को हाल मसी को न्याय आसन को सामे खुल जाएगो, कि हर एक अदमी अपना अपना भलाई बुराई का काम हुन को बदला जे ओ न सरीर को दुवारा किऐ हो पाये।
मी ओखा पोरिया पारी ख मार डालूगो; उत्ती बखत सब कलेसिया जान लेहे कि दिमाक अर मन ख परखन वालो मीइच ही आय, अर मी तुम म से हर एक ख उनका काम हुन को हिसाब से बदला देऊगो।
फिर मीना छोटा बड़ा सब मरीया वाला ख सिंहासन को जोने खड़ा होते हुए देख्यो, अर किताब खोली गई; अऊर फिर एक अऊर किताब खोली गई, एकोमतलब जीवन कि किताब; अर जसो वी किताब हुन म लिख्यो हतो रहा, वसा ही उनको काम को अनुसार मरीया वाला को न्याय करो गयो।