काहेकि सूरज उगन से ही बेजा धूप पड़ा हैं अर घास ख सुखा देवा हैं, अर ओको फूल झड़ जावा हैं अर ओकी सोभा जाती रहव हैं, यू तरीका से धनवान भी अपनो काम पर चलते-चलते मिठ्टी म मिल जाहे।
यू तुम्हारो प्यार सभा हुन म तुमारो संग खाव अर पीवा समुंदर म छिपी हुई चट्ठान सरीखे हैं, अऊर बेधड़क अपनो ही पेट भरन वाला रखवाला हैं; वी बिना बादल हैं, जिन्हे हवा उड़ा ले जावह हैं; पतझड़ को अधूरो झाड़ हैं, जे दो बार मर चुको हैं, अऊर जड़ से उखड़ गयो हैं;