6 कुछ चट्ठान पर गिरो, अर उपज, पर नमी नी मिलन से सूख गयो।
6 खिन्डिक चचरली पकना ने घसरली, आउर अकरली, मान्तर ओल नी मिरलो ले सुकुन गेली।
पत्थर चट्ठान पर का वी हैं कि जब वी सुनत हैं, ते खुसी को संग म वचन ख ग्रहण वी करत हैं, पर जड़ नी पकड़न से वी थोड़ी देर का तक विस्वास रखत हैं अर परीक्छा को बखत बहक जावा हैं।
“एक बोवन वाला बीज बोन का लियो निकलियो। बोते हुओ कुछ रस्ता का किनारो म गिरीयो, अर पाय को व्दारा रोदियो गयो, अर आकास की पक्छी हुन न ओ ख चुन लियो।
कुछ झाड़ियो का बीच म गिरायो, अर झाड़ हुन न संग-संग बढ़ ख ओको दबा दियो। से
जसो कि बोलह जावा हैं, “पर आज तू ओ की बात सुने, ते अपनो मन ख कठोर नी करे,” “जसो कि गुस्सा दिलावन को बखत करयो रह।”