47 जित्ता ओकी सुनत रह हते, वी सब ओकी समझा अर ओखा उत्तर से दंग होत रह।
47 जितरो हुनचो सुनते रवत, हुनमन सपाय हुनचो समज आउर हुनचो जबापमन ले भक्याऊन रवत।
अऊर अपनो सहर म आँख उन ख प्रार्थना घर म उन ख असो ग्यान देन लगो कि वी अचम्भा हो ख कहन लगो, “ऐका यू ग्यान अऊर सामर्थ्य को काम कहा से मिलो?
यू सुन ख लोग यीसु का उपदेस से आचम्भ भयो।
ते यीसु न अपनो यू प्रचार खत्म करियो, ते जनसमूह उनको ग्यान सुन ख हैंरान हो गयो;
एकोलाने इंसान ओको बतानु से भय चक्का हो गया; काहेकि उ उनका सासतिरी हुन को जसो नी, पर अधिकारी को जसो सिक्छा देत रह।
यू सुन ख सबसे बड़ो पुजारी अर सासतिरी ओखा मार ड़ालन को मऊका ताकन लग गया। काहेकि वी ओसे डरत रह, येको लाने कि सब झन ओको बतानु से सोच म पड़ गया रह।
आराम करन को दिन यीसु प्रार्थना घर म सिक्छा देन लग गयो, अर बेजा सारा झन चकित भया अर कहन लग गया, येका या बात कहा से आवा हैं? यु कोन सो ग्यान आय जो ओखा दियो गयो हैं? कसा सक्ति को काम एको हात हुन से होते जावा हैं?
अर सब सुनन वाला न उन बात से जो भेड़ी चराना वाला गाड़री हुन से ओसे कहयो अचम्बा कियो।
अर तीन दिन को बाद म यीसु उन ख ओखा मन्दिर म सिखान वाला हुन को बिच म बठियो, अर उनकी सुनन अर उनसे पुछते कर हुए पायो।
सब न ओ ख सराहा, अर जो किरपा की बात ओके मुँह से निकलत हती, ओसे अचम्भा हुयो; अर कहन लगियो, “का यू यूसुफ का पोरिया नी?”
वी ओके सिक्छा से चंकित हो गयो काहेकि ओखा वचन (सब्द) अधिकार सहित हतो।
यहूदी गुरू हुन बड़ी सोच म पढ़ गया अऊर उनना कय्हो, “यू इंसान कसो जाना हैं जब उ कभी स्कूल नी गयो?”
सिपाई हुन न जवाब दियो, “कोइ न भी यू इंसान से कभी असी बात नी करी!”