3 सतरक रहेजो; यदि तोरो भई पाप करे ते ओखा समझा, अर यदि पछताए ते ओखा माप कर।
3 ताक ने राहा; अगर तुचो भाई अपराध करो तेबे हुनके खिज, आउर अगर पचताओ तेबे हुनके छमा कर।
ते पतरस न नजीक आय ख प्रभु से कय्हो, “अरे प्रभु, अदि मोरो भई पाप करा हैं, ते म कित्ती बार ओ ख माप करू? का सात बार तक?”
“एकोलाने होसियार (सावधान) रहनू, असो नी होय कि तुम्हारो मन खुस होय (खुमार) अर मतवालो पन, अर यू सरीर की चिन्ता हुन से लस्त हो जाहे, अर उ दिन तुम प फन्दा को जसो अचानक आ जाहे।
एकोलाने ध्यान से देखनु, कि कसी चाल चला हैं: बिना अकल वाला को जसो नी पर बुध्दिवाला हुन को जसो चलो।
ध्यान से देखते रहो, असो नी होए कि कोई परमेस्वर कि दया से वंचित रह जाऐ, या कोई कडू जड़ फुट ख दु: ख देहे, अर ओको व्दारा बेजा सा अदमी असुध्द हो जाहे।
अरे मोरो भई हुन अर बहिन हुन, अगर तुम म से कोई सत्य की रस्ता से भटक जाहे अर कोई ओ ख फेर लाए,
खुद को बारे म सतर ख रहनो, कि जो मेहनत हम न करी हैं ओखा तुम गमा मत देनो, पर ओको पुरो फल पाव।