16 ओ न ओसे कय्हो, “कोई इंसान न बड़ो भोज दियो अर बेजा हुन का बुलायो।
16 हुन हुनचो ले बल्लो, “कोनी माने बड़े भोज दिलो आउर खुबे के हाग दिलो।
आत्मा अर दुलन दोई कहाँ हैं, “आ!” अर सुनन वालो भी बोले, “आ!” जोका प्यास लगी होय उ आय, अर जो ख लगा हैं जीवन को पानी फिरी म ले।
देख, मी दरवाजा पर खड़ो हो का खटखटाऊ हैं; अदि कोई मोरो सब्द सुन ख दरवाजा खोलेगो, ते मी ओको जोने भीतर आ ख ओको संग खानो करुँगो अर उ मोरो संग।