ओखा मालिक न ओ से कय्हो, धन्य हे भलो अर विस्वास योग्य दास, तू थोड़ा म भरोसा योग्य दास, तू थोड़ा म विस्वास लायक रहे; म तोखा बेजा चीज हुन को अधिकारी बनाऊँ। अपनो मालिक ख खुसी म सामिल होऐ।
एकोलाने मी तोखा सला देऊ हैं कि मोरी बात मान आग म तापायो वालो सोना मोसे मोल ले ला कि तू धनी हो जाय, अर सुपेत कपड़ा लेला की पहिन ख तोखा अपनो नंगोपन कि लाज नी आन कि, अर तोरी आँख म लगान को लाने सुरमा लेला कि तू देखन लग जाय।