43 भलो हैं वी दास, जेका ओको मालिक आय ख असो ही करत पायो।
43 धन्य आय हुन दास, जेके हुनचो मालिक ऐऊन भाती असने ची करते पाओ।
भलो हैं वी दास, जेका ओको मालिक आय ख असो ही करत पायो।
धन्य हैं वी दास जेको मालिक आय जगते देखे मी तुम ख सच कहूँ हूँ कि उ कम्मर बाँध ख उन ख खाना खलान ख बैठाले, अर नजीक आँख उनकी सेवा करेगों।
प्रभु न कय्हो, “वी भरोसा अर बुध्दिमान भण्डारी कोन हैं, जेको स्वामी ओखा नऊकर चाकर हुन पर सरदार ठहरायो कि उन का बखत पर खान कि समान दे।”
मी तो से सच कहूँ हैं, वी ओ ख अपनी सारी धन-संपति पर हक ठहराएगो।
ऐको लाने, अरे प्यारो हुन, जब कि तुम यी बात हुन कि आस देखह हैं, कि ते प्रयास कर कि तुम सान्ति से ओखा सामने बेदाग हैं अर बेगुना रह,