23 काहेकि खाना से जान, अर कपड़ा से सरीर बढ़ ख हैं।
23 कसनबल्लोने भात ले जीव, आउर फटीई ले देंह बडुन भाती आय।
फिर ओ न अपना चेला हुन से कय्हो, “एकोलाने मी तुम से बोलू हैं, अपनो जिन्दगी को लाने यू चिन्ता करनो कि हम का खाएँगो; न अपनो सरीर की, कि हम का पहिने।”
कोऊवा हुन पर ध्यान देव; वी न बोवा हैं, न काटा नी उ ख बखारी अऊर नी बखारी हुन होवा हैं! तेभी परमेस्वर उन ख खिलावा हैं। तुमारो का दरजा इन पक्छी हुन से कही जादा नी हैं।
जब वी खाना खा ख तृप्त भया, ते गहूँ का समुंदर म फेक ख जहाज हल्को करन लगिया।