एकोलाने जब तक प्रभु नी आये हे उ बखत से पहले कुई बात हुन ख फैसला नी करे उ अन्धकार कि छुपी बात हुन ज्योति म दिखाए, अऊर मन हुन ख अभिप्राय ख देखागो करेगों, तब परमेस्वर कि तरफ से हर एक कि स्वगत होय।
काहेकि अवस्य हैं कि हम सब को हाल मसी को न्याय आसन को सामे खुल जाएगो, कि हर एक अदमी अपना अपना भलाई बुराई का काम हुन को बदला जे ओ न सरीर को दुवारा किऐ हो पाये।