यू कारन कि परमेस्वर ख जानन पर भी उनना परमेस्वर को काबिल बड़ाई अऊर धन्यवाद नी कियो पर बेकार विचार करन लग गया, इत्तो तक कि उनको मन भीतरी से न समझ हो गयो।
एकोलाने हम विचार हुन म अऊर हर एक ऊँची बात ख, जो परमेस्वर की पहिचान को विरोध म उठ हैं, खण्डन हो कर हैं; अऊर हर एक भावना ख बन्द कर ख मसी को बात ख मानन वालो बना देव हैं,
यू ही तीरका अरे जवान हुन, तुम भी सियाना जमाना का अदमी हुन का बस म रहो, पर तुम सारा का सारा एक दुसरा कि सेवा का लाने नम्रता से कमर बाँधी रहो, काहेकि “परमेस्वर घमण्डी हुन को विरोध करह आय, जब कि दया करन वालो पर अपनी दया दिखाव हैं।”
एकोलाने एक ही दिन म ओपर बिपत्ती हुन आ जाहेगो, एकोमतलब माऊत, अर चिन्ता, अर अकाल; अऊर वा आग म भस्म कर दियो जाहे, काहेकि ओको न्याय करन वालो प्रभु परमेस्वर सक्तिसाली हैं।”