फसह को तिहार से पहले को दिन हतो, जब यीसु न जान लियो कि मोरी वा घड़ी आ गई हैं कि दुनिया छोड़ख बाप को जोने जाऊ, ते अपना इंसानहुन से जे दुनिया म हता जसो प्रेम उ रखत रह हतो, आखरी तक वसो ही प्रेम रखते रयो।
यीसु न उनसे कय्हो, “अरे बाई, तू काहे ख रोवा हैं?” कोन ख ढूँढा हैं? ओ न माली समझ ख ओसे कय्हो, “अरे प्रभु, अदि तू न ओखा उठा लियो हैं ते मोखा बता कि ओखा कहाँ धरीयो हैं, अर मी ओखा ले जाऊ।”
यीसु न असी बात कही, जसो कि ओ ना मन्दिर म सिखायो, उ कमरा म जहाँ भण्ड़ार घर जेमा भेट रखी जावत रहा। पर कोई न ओखा नी पकडियो, काहेकि ओको बखत अबा लक नी आयो रह।