1 या बात हुन मी न तुम से एकोलाने कही, कि तुम ठोकर नी खान का।
1 “ऐ गोठमन मय तुमचो ले ऐईकाजे बल्ले कि तुमी ठोकर नी खाआ।
अऊर भलो हैं उ, जो मोरो वजेसे ठोकर नी खान को।”
पर अपनो म जड़ नी धरन का कारन उ थोड़ा ही दिन को हैं, अऊर जब वचन को करन अऊर दुख अर उपद्रव होऐ हैं।
यी तरीका से लोग हुन ओको कारन ठेस खाई। पर यीसु न उन ख कय्हो, कि भविस्यवक्ता ख अपनो देस अऊर अपनो घर ख छोड़ अऊर कही अपमान नी होय।
एकोलाने बेजा हुन ठोकर खाएँगो, अर एक दूसरा ख पकड़वाएगो, अर एक दूसरा से बुराई रखेगो।
मी न या बात तुम से एकोलाने नी बोलो हैं, कि मोरी खुसी तुम म बनी रहे, अर तुमारी खुसी पुरी हो जाहे।
पर या बात मी न एकोलाने तुम से कही, कि जब इनको बखत आहे ते तुमका याद आ जाहे कि मी न तुम से इनको बारे पहले ही कह दियो रह। मी न सुरू म तुम से या बात हुन एकोलाने नी कही काहेकि मी तुमरो संग हतो।
अच्छो ते यू हैं कि तू नी मांस खाए अर नी अंगूर को रस पीए नी अर कुछ असो करे जेसे तोरो भई ठोकर खाऐ।
यहाँ तक कि तुम अच्छी से अच्छी बात हुन की परख करो, अर मसी को दिन तक सच्चो बनो रय्हे, अर ठेस मत खा;
अर “झट लगन को पत्थर अर झट खान की टेकड़ा हो गयो हैं,” काहेकि वी ते वचन ख नी मान ख ठोकर खाव हैं अर यी का लाने वी ठहरायो भी गयो हते।