कि तू उनकी आँखी खोले कि वी अंधेरा से उजाला की तरफ अऊर सैतान को हक परमेस्वर की तरफ फिरे, पाप हुन की माफी अर वी अदमी हुन को संग जो मो पर भरोसा करनो से सुध्द करीया गया हैं वी छुटकारा पाय।
पर दुनिया को अदमी हुन परमेस्वर कि आत्मा कि बात हुन मान नी करिये, काहेकि वी ओकी देखना म बेकार कि बात हैं, अर नी उ उन ख जान सक हैं काहेकि ओकी परख आत्मिक रीति से होए हैं।