का कोई भी असो भविस्यवक्ता हतो, जेखा तुमरा बाप-दादा न नी सतायो? उनना तो उन ख मार भी डाल्यो जिनना बेजा पहिले से ही उ धर्मी को आन को बारे म बता दियो रहा, जेखा अब तुमना धोका दे ख पकड़वा दियो अर मरवा डाल्यो,
सास्र को जो भाग ख उ पढ़त रहा उ हतो: “ओखा बली चढ़न वाली भेड़ को जसो ले जायो गयो। उ तो उ पिल्ला को समान चुप था। जो ऊन करन कि बखत चुप-चाप रहवा हैं, ठीक वसो ही ओ ना अपनो मुंडो नी खोल्यो!
तुम इंसान चाहव ते हो पर तुम ख मिल नी कर पावा। तुम म जलन हैं अऊर तुम दुसरो ख मार डाला हैं, फिर भी जे चाहाव हैं, मिल नी पावा। अऊर एकोलाने लड़ाई झगड़ा करा हैं, अपनी इक्छा की चीज हुन ख तुम ख नी मिल पावा काहेकि तुम उन ख परमेस्वर से नी माँगह।