16 पर आबा तुम अपनो डीग मारन पर घमण्ड करह हैं; असो सब घमण्ड बुरो होव हैं।
16 मान्तर अदायं तुमी आपलो ढ़ोंग मारतो थाने घमण्ड करू आस; असन सपाय घमण्ड खराप होऊ आय।
तुमारो घमण्ड करनो अच्छो नी; का तुम नी जान की थोड़ो सो खमीर तीन दीन को गूँधो हुयो आटा ख खमीर कर दे हैं।
पर अदि तुम अपनो-अपनो मन म कड़वी जलन अऊर विरोध रखह हैं, ते सही को विरोध म घमण्ड नी करनो, अऊर न तो झुठ बोलनो।
काहे कि जे कुछ दुनिया म हैं, याने सरीर कि लालच अर आँखी हुन की लालच अर धन संपत्ति को घमण्ड, उ महान बाप कि तरफ से नी पर दुनिया ही कि तरफ से हैं।
जित्ती ओ ना बड़ाई करी अर सुख चैन भोगयो, उत्तोइच ओखा दुख अर दरद देव; काहेकि वा अपनो मन म बोला हैं, ‘मी रानी बन ख बठी हैं, राड़ नी; अर फिकर म कभी नी पड़न की।’