यदि लेवीय याजक पद को व्दारा सिध्दि प्राप्त हो सकी (जोको सहारो से अदमी ख इन्तजाम मिलो रह) ते फिर का जरूरत हती रह की दुसरो पूजारी मलिकिसिदक को रीति पर खडो हो, अर हारून कि रीति को नी कहलाए?
काहेकि वी केवल खान पान की चीज अऊर नयो प्रकार से सुध्दी करन को नेम हैं। जे आसा उ बखत को सरीर ख सरीर ख पुननिर्मान को लाने नियुक्त कियो गयो थो जे उपदेस को जे आखरी बखत लक लागु होन वाली बाहायरी नेम आय।