15 अर उन जिन ख माऊत को डर को मारे जिन्दगी भर गुलामी म फसया रह, उन ख छुडा ल।
15 आउर जितरो मरना चो भय चो मारे जीवभर गुलामी ने फसुन रवत, हुनमन के छंडाओ।
काहेकि तुम ख गुलामी कि आत्मा नी मिली कि ते बिना डर पर कि आत्मा मिली हैं, जेसे हम अरे अब्बा, अरे बाप कह पुकार हैं।
कि धरती भी खुद ही विनास को गुलमी से मुक्ति पा ख, परमेस्वर कि अवलाद हुन कि महिमा कि आजादी मिल करिये।
परमेस्वर ही हम ख मरन ख असो बड़ो संकट से बचायो, अऊर उ असो ही कर रहे; ओ पर हमारी या आसा हैं कि उ भविस्य म भी हम ख बचाते रहे।
तुम जो रीति-रीवाज को हिसाब से चलनू चाहवा हैं, मो ख बताव, का तुम नेम की नी सुना?
काहेकि परमेस्वर न हमेय भय की नी पर सक्ति अर प्रेम अर संयम की आत्मा दी हैं।
काहे की उ पक्को हैं तो स्वर्गदूत ख नी बल्कि वरन् अब्राहम का दास ख संभालह हैं।