अरे भई हुन मी नी चाहूँ हैं कि तुम असी बात हुन से अनजान रैव कि मी न बार-बार तुमारो जोने आन को पिलान बनायो ताकि, जसो दुसरी जात हुन म फल मिले, वसो ही तुम म भी मिले, ते भी अब तक वहाँ जान ख लाने रोको गयो।
अरे भैय्या हुन, मी इंसान हुन कि रीति रीवाज को हिसाब से बोलू हैं; इंसान को वादा (वचन) भी जो पक्को हो जावा हैं, ते न कोई ओ ख टाल हैं अर न ओमा कुछ बढ़ावा हैं।
अरे भैय्या हुन अर बहिन, अदि कोई अदमी कोई अपराध म पकड़ा भी जाय ते तुम जे आत्मिक हैं, नम्रता को संग असा ख संभालो, अर अपनी भी देख भाल रखनू कि तुम भी परीक्छा म मत पढ़नु।