काहे की मी घुमतो हुओ तुम्हारो पुजनु की वस्तु हुन ख देख रहयो थो, तो एक असो वेदी भी पायो, जो पर लिखो थो, अनजान म ईस्वर को लाने। ओ खो लाने तुम बिना जाने पुजा हैं, मी उन को अच्छो समाचार सुनाउ हैं।
काहेकि जब परमेस्वर ख ग्यान को जसो दुनिया न ग्यान से परमेस्वर ख न जानो, ते परमेस्वर ख यू अच्छो लगो कि यू प्रचार कि मुर्ख हुन ख व्दार विस्वास करन वालो ख उध्दार दे।
काहेकि इंसान हुन खुद हमका बतावा हैं कि तुमरो इते हमारी कसी मान इज्जत भई अऊर तुम कसो तरीका से मुरती हुन ख छोड़ ख परमेस्वर कि तरफ फिरिया, जसो तुम सच्चो अर जिन्दो परमेस्वर का सेवा करन वाला बनिया,
काहेकि दुसरी जात हुन कि इच्छा को हिसाब से काम करन, अर लुचपन कि बुरी लोभ हुन, दारू पीवन वालो, लीलाक्रीड़ा, पियक्कड़ पन, अर बुरो काम म मूर्ति पूजा म जहाँ लक हम न पहले बखत गँवाया उही ढ़ेर भयो।