येपर अदमी हुन न ओसे कय्हो, “नेम हमका असो ग्यान देवा हैं कि मसी हमेसा रहेगो, फिर तू काहे बोला हैं कि इंसान को पोरिया का ऊँचो पर लटकायो जानो जरुरी हैं? यू इंसान को पोरिया कोन आय?”
हम ख मालूम हैं कि नेम जे कुछ कह हैं ऊईच से कह हैं, जे नेम को बस हैं एकोलाने कि हर एक मुँह बंद करियो जाहे हैं अऊर सारो दुनिया परमेस्वर को सजा का लायक रूके;
एकोलाने जित्ता अदमी नेम को काम हुन पर भरोसा रखा हैं, वी सब सराप को बस म हैं, काहेकि लिखो हैं, “जे कोई नेम को किताब म लिखी वाली सब बात हुन को करनो म खड़ो नी रहवा, उ सरापीत हैं।”
पर अब जे तुम न परमेस्वर ख पहिचान लियो पर परमेस्वर न तुम ख पहिचानो, ते वा कमजोर अर निकम्मी सुरू कि सिक्छा कि बात हुन कि तरफ काहे फिरा हैं, जिनको तुम दुसरी बार गुलाम सेवक होनो चाहवा हैं?