7 अर वा सेवा का इंसान हुन की नी पर प्रभु की जान ख सच्चो मन से करो।
7 आउर हुन सेवा के मानेमन चो नाई मान्तर परबु चो जानुन भाती सत मन ले करा।
पर परमेस्वर को धन्यवाद हैं कि तुम जो पाप ख दास हतो अब मन से ओ ख सिखान ख मान वाला हो गयो, जेका रूप म ढाले गयो हतो,
एकोलाने तुम ख मन चाहे खा, मन चाहे पी, मन चाहे जो कुछ कर, सब कुछ परमेस्वर की महिमा का लाने कर।
जे कही तुम करह हैं, तन मन से करनु। यू समझ ख कि अदमी हुन को लाने नी पर प्रभु को लाने करते रहनू।