अर यू दुनिया को सदस्य नी बन; पर तुमारी मन का नयो हो जानू से तुमारी चाल चलन भी बदलतो जाहे, जे से तुम परमेस्वर कि भली, अर भावती, अर पसंन्द, अर अच्छी परख अनुभव से मालूम कर सका हैं।
कि तुम प्रभु म यू प्रकार से अंगीकार कर जसो कि परमेस्वर को सुध्द लोग हुन लायक हैं, ओ से तुमारो वजे जसा मददत चहिए वसा ही ओकी मददत कर काहेकि उ मोरो संग बेजा लोग हुन कि मददत करियो हैं।
अदि कोई विधवा का पोरिया-पारी या नाती नतरा होय, ते वी पहले अपनो ही घरानो को संग भक्ति को बर्ताव करनो अर अपना माय-बाप हुन ख उनको हक देनो सीखे, काहेकि असो परमेस्वर ख भावा हैं।