अर यू दुनिया को सदस्य नी बन; पर तुमारी मन का नयो हो जानू से तुमारी चाल चलन भी बदलतो जाहे, जे से तुम परमेस्वर कि भली, अर भावती, अर पसंन्द, अर अच्छी परख अनुभव से मालूम कर सका हैं।
ऐको लाने जो दिन से यू सुनो हैं, हम भी तुम्हारो लाने या प्रार्थना अर विनती करनो नी छोड़ हैं कि तुम सारे आत्मिक ग्यान अर समझ सहित परमेस्वर की इच्छा की पहिचान म परिपूर्ण हो जाओ,